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Myanmar Rebel Group Arakan Army Claims Control Of Town Bordering India Bangladesh

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India-Myanmar Border: पश्चिमी म्यांमार के रखाइन राज्य में एक जातीय सशस्त्र समूह अराकान आर्मी (AA) ने दावा किया है कि उसने भारत और बांग्लादेश की सीमा से लगे एक शहर पर नियंत्रण कर लिया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एए ने भारत और बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करने वाले कलादान नदी पर स्थित बंदरगाह शहर पलेतवा पर नियंत्रण की घोषणा की है.

म्यांमार कई मोर्चों पर विद्रोह की चपेट में है. लोकतंत्र समर्थक समानांतर सरकार की ओर से समर्थित जुंटा विरोधी समूहों ने कई सैन्य चौकियों और कस्बों पर नियंत्रण कर लिया है. 2021 में एक निर्वाचित सरकार के खिलाफ तख्तापलट करने के बाद से जुंटा के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है.

इसे म्यांमार की सैन्य सरकार के लिए नया झटका माना जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे भारत की चिंता बढ़ेगी? दरअसल, म्यांमार में संघर्ष शुरू होने के बाद से हजारों की संख्या में लोगों ने भारत में शरण ली है. पड़ोसी देशों में उथल-पुथल का असर बाहर नहीं होगा, इससे आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.

भारत के लिए कितनी चिंता?

देश की सीमा से लगे शहर पर म्यांमार के विद्रोही समूह के कब्जा करने से क्या भारत की चिंता बढ़ेगी, इसे लेकर फिलहाल सरकार की तरफ से कुछ कहा नहीं गया है लेकिन पिछले साल की ऐसी ही एक घटना पर विदेश मंत्रालय के बयान से अंदाजा लगता है.

दरअसल, पिछले साल ऐसी खबर आई थी कि म्यांमार के चिन राज्य में भारत से लगी सीमा पर दो सैन्य ठिकानों पर विद्रोही समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स ने अपना नियंत्रण कर लिया है. इस पर 16 नवंबर, 2023 को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि (भारत की) सीमा के पास ऐसी घटनाओं पर सरकार का ध्यान है. उन्होंने कहा था, ”हमारा रुख स्पष्ट है कि म्यांमार में हिंसा खत्म हो और स्थिति बहाल हो या रचनात्मक संवाद के जरिए स्थिति का समाधान निकले.”

उन्होंने कहा था कि भारत म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी का आह्वान दोहराता है. उन्होंने कहा था कि 2021 से म्यांमार से बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण ले रहे हैं. स्थानीय अधिकारी मानवीय आधार पर स्थिति को उचित तरीके से संभाल रहे हैं.

अराकान आर्मी के प्रवक्ता ने क्या कहा?

रविवार (14 जनवरी) को एए के प्रवक्ता खिन थू खा ने अपने एक बयान में पड़ोसी देशों के साथ सहयोग करने के लिए समूह के इरादे को व्यक्त किया. एए उन तीन सशस्त्र समूहों में से एक जिन्होंने अक्टूबर में सेना के खिलाफ एक बड़ा नया आक्रमण शुरू किया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति पर प्रतिक्रिया के लिए सैन्य जुंटा से संपर्क करने की कोशिशों के बावजूद कोई रिएक्शन नहीं मिला है. अराकान सेना की ओर से किए गए दावे की रॉयटर्स की ओर से स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की गई है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एए ने अपने टेलीग्राम चैनल पर कहा, ”पूरे पलेतवा क्षेत्र में एक भी सैन्य परिषद शिविर नहीं बचा है.”

पलेतवा बंदरगाह पर एए के कब्जे का मतलब क्या है?

रिपोर्ट में कहा गया है कि एए म्यांमार के कई जातीय समूहों में से सबसे नया लेकिन सबसे अच्छी तरह से लैस समूह है. यह कई वर्षों से रखाइन राज्य और पड़ोसी चिन राज्य के कुछ हिस्सों में सेना से संघर्ष कर रहा है और अपनी पकड़ बना रहा है.

फरवरी 2021 में सेना के सत्ता पर कब्ज़ा करने से पहले ही एए के लड़ाकों रखाइन में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली थी. दो साल समूह ने राज्य के 60 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने का दावा किया था. हालांकि, 2021 के तख्तापलट के समय समूह संघर्षविराम का पालन कर रहा था. वहीं, सेना इसलिए इसके साथ टकराव से बच रही थी ताकि वह तख्तापलट के विरोध को कुचलने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर सके.

इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में एए ने ब्रदरहुड अलायंस के हिस्से के रूप में घोषणा की कि वह सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष में शामिल हो रहा है और हमला की श्रृंखला शुरू की. 

पलेतवा बंदरगाह के नियंत्रण में होने से एए अब भारतीय सीमा तक सड़क और जल परिवहन को कंट्रोल करता है और उसके पास एक रसद आधार है, जहां से वह रखाइन राज्य में आगे के हमलों की योजना बना सकता है.

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