दुनिया

QUAD Vs China These Four Countries Can Defeat Dragon In Indo Pacific Region Eyes On Australia And Japan PMs India Visit

[ad_1]

QUAD Alliance Vs China: चीन द्वारा अपने सैन्य बजट को 7.2% बढ़ाकर 225 बिलियन अमेरिकी डॉलर किए जाने के मद्देनजर क्‍वाड (QUAD) देशों की रणनीति भी बन रही है. क्‍वाड भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान इन चार देशों का समूह है, जिसे चीन अपने खिलाफ मानता है. चीन के बढ़ते सैन्‍य खर्च और अर्थव्‍यवस्‍था के आकार को देखते हुए QUAD मेंबर्स अपने रक्षा और आर्थिक सहयोग को गहरा करने के लिए बाध्य हैं.

ग्‍लोबल एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि QUAD मेंबर्स को चीनी चालों से निपटने के लिए हर हाल में साथ होना होगा. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियां इसकी प्रमुख वजह बन जाती हैं, जहां चीन छोटे-छोटे देशों पर दादागिरी जमा रहा है. रूस-यूक्रेन की जंग में चीन का रूस को समर्थन भी भारत के लिए चिंतित कर देने वाली बात है. क्‍योंकि, चीन और रूस अपनी दोस्‍ती को ‘नो लिमिट अलाय’ बता चुके हैं. यदि रूस चीन के पाले में जाता है तो इसका भारत को बड़ा नुकसान होगा.

QUAD से खौफ खा रहा ड्रैगन
चीन QUAD यानी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के शक्तिशाली मंच से खौफ खाया हुआ है. आने वाले समय में जबकि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस 8-11 मार्च को भारत का दौरा करने वाले हैं, तो जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भी नई दिल्‍ली आ रहे हैं. ये दोनों देश भारत के बहुत करीबी भागीदार हैं. भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (दिवंगत) को ही QUAD के नए सह-संस्थापक के रूप में देखा जाता है.

चीन का सैन्य बजट भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान से ज्‍यादा
भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान वो देश भी हैं, जिनके साथ अमेरिका का किसी भी विषय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान का समझौता है. कहीं न कहीं, इन चारों देशों के प्रतिनिधियों की चर्चा का केंद्र चीन ही रहा है. ऐसे में चीन में शी जिनपिंग की अगुवाई वाली सरकार ने अपने सैन्य बजट को बढ़ाकर 225 अमेरिकी बिलियन डॉलर कर दिया है, जो भारत (73 बिलियन अमेरिकी डॉलर), ऑस्ट्रेलिया (48.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और जापान (51 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के संयुक्त बजट से भी अधिक है.

स्‍ट्रेटजी एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि वास्‍तव में चीनी सैन्य बजट जारी आंकड़ों से अधिक है. उसके बढ़ते सैन्य-औद्योगिक खर्च की गिनती सैन्य खर्च से अलग होगी, और यह आंकड़ा भी अरबों अमेरीकी डालर में है. बढ़े हुए खर्च का रणनीतिक इरादा चीन को तीन प्रमुख खतरों के खिलाफ तैयार करना है- ताइवान मुद्दा, सिंकियांग या झिंजियांग और तिब्बत.

भारत-जापान के खिलाफ साजिश करेगा चीन!
चीन जिन देशों को विरोधी मानता है, उनकी भी तस्वीर स्पष्ट हो जाती है क्योंकि सेनकाकू द्वीप समूह या पड़ोसी ताइवान पर किसी भी सैन्य आपातकाल का जापान पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, और तिब्बत व झिंजियांग में सैन्य समीकरण का सीधे भारत पर दबाव रहेगा. चीन की सेना PLA एक विस्तारवादी मोड में है, जिसने भारतीय सीमा पर अतिक्रमण की कोशिश की है. और, इसी समय में ऑस्ट्रेलिया के साथ भी चीन की व्‍यापार मामलों में नोंक-झोंक हुई है. 

शी जिनपिंग सुदूर प्रशांत क्षेत्र में रूस के साथ सैन्य सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं. और इन दोनों देशों ने AUKUS गठबंधन पर सवाल उठाए हैं. AUKUS गठबंधन कैनबरा को परमाणु-संचालित पारंपरिक रूप से सशस्त्र पनडुब्बियों को अपने प्रभाव क्षेत्र में गश्त करने के लिए प्रदान करके ऑस्ट्रेलिया की समुद्री क्षमता को मजबूत करेगा. AUKUS में अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया शामिल हैं.

3488 किमी लंबे भारत-चीन बॉर्डर पर तनाव
भारतीय रणनीति विशेषज्ञ मानते हैं कि भले ही चीन के साथ 3488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति अभी स्थिर है, लेकिन मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में बीजिंग द्वारा जमीनी स्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश के बाद से सीमा से पीएलए बलों की कोई कमी नहीं हुई है. जहां भारतीय विपक्षी दल मोदी सरकार को चीनी दुस्साहस का जवाब देने के लिए उकसाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारतीय सेना सबसे भीषण परिस्थिति के लिए भी अपनी योजनाओं के साथ तैयारी कर रही है.

हिंद महासागर में बढ़ रही ग‍तिविधियां
भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच, इंडो-पैसिफिक चीनी नौसेना के विस्तार के साथ मुख्य एजेंडा में से एक है और इसकी मध्यम दूरी की पारंपरिक और परमाणु मिसाइल शस्त्रागार एक मुख्य चिंता का विषय है. वर्षों से, चीनी रणनीतिक निगरानी जहाज लगातार हिंद महासागर के तल और लोम्बोक और ओम्बी-वेटर के दक्षिण चीन सागर में प्रवेश मार्गों की मैपिंग कर रहे हैं क्योंकि परमाणु या पारंपरिक पनडुब्बियों को दक्षिण चीन सागर से सुंडा या मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर में पार करना पड़ता है. लोम्बोक और ओम्बी-विटार चैनल, ऑस्ट्रेलिया के करीब, सतह की आवश्यकता के बिना पनडुब्बियों को संभालने के लिए काफी गहरे हैं.

घनिष्ठ रक्षा सहयोग से बढ़ेगी आपसी सुरक्षा
भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक रसद समझौता है और वे मालाबार नौसैनिक अभ्यास का हिस्सा हैं. हालांकि, कई जानकारों का कहना है कि भारत और जापान के बीच सैन्य सहयोग तभी गहरा होगा, जब टोक्यो अपने शांतिवादी सिद्धांत को त्याग देगा और लिथियम-आयन तकनीक जैसी उन्नत सैन्य तकनीक साझा करने का फैसला करेगा. तीनों देशों की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, घनिष्ठ रक्षा सहयोग आपसी सुरक्षा को बढ़ावा देगा और यह सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारवादी ताकतों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करेगा.

यह भी पढ़ें: ‘एक देश की तरह बर्ताव करना सीखें, हमसे पैसा लेकर अमीरों को पहुंचाते हैं फायदा’, कंगाल पाकिस्तान को IMF की दो टूक

#QUAD #China #Countries #Defeat #Dragon #Indo #Pacific #Region #Eyes #Australia #Japan #PMs #India #Visit

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button