Supreme Court Refused Demand To Increase Minimum Age Of Girls Marriage From 18 To 21 Years | लड़कियों की शादी करने की न्यूनतम उम्र में कोई बदलाव नहीं, याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा

Supreme Court: लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 करने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र में आने वाला विषय है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में लड़कियों की शादी बहुत कम उम्र में होने का भी मसला उठाया था. कोर्ट ने कहा कि यह दूसरा विषय है. समान नागरिक संहिता पर अलग से सुनवाई हो रही है.
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से अपने संबोधन में भी बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का उल्लेख किया था. उन्होंने कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी उचित समय पर हो. मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून में संशोधन का मामला है. ऐसे में कोर्ट इस मामले में संसद को कानून लाने के आदेश नहीं दे सकता. कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट शादी की 18 साल की उम्र को रद्द कर देता है तो फिर शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी.
कोर्ट ने लगाई फटकार
याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए. इस जनहित याचिकाओं का माखौल मत बनाइए.
याचिका में क्या कहा गया है?
कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि कोर्ट धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर कानून बनाए जिसमें विवाह की एक समान उम्र तय हो. लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र भी तय की जाए जो कि सभी नागरिकों पर लागू हो.
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