SS Badrinath Death Made Biggest Hospital Of Eyes Know About Him Sankara Nethralaya Founder And Chairman

Dr. SS Badrinath Death: शंकर नेत्रालय के संस्थापक और चेयरमैन डॉ. एसएस बद्रीनाथ का मंगलवार (21 नवंबर) को निधन हो गया. वह 83 साल के थे. उनके निधन की खबर की पुष्टि तमिलनाडु कांग्रेस के उपाध्यक्ष राम सुगंथन ने की. डॉ. एसएस बद्रीनाथ चेन्नई में भारत के सबसे बड़े चेरिटेबल आई हॉस्पिटल्स में से एक, शंकर नेत्रालय के संस्थापक थे.
बद्रीनाथ के निधन पर शोक जताते हुये, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आंखों की देखभाल में उनके योगदान और समाज के लिए उनकी निरंतर सेवा ने एक अमिट छाप छोड़ी है. प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘‘दूरदर्शी, नेत्र विज्ञान के विशेषज्ञ और शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ जी के निधन से गहरा दुख हुआ.’’
उन्होंने आगे लिखा, ‘‘नेत्र देखभाल में उनके योगदान और समाज के प्रति उनकी अथक सेवा ने एक अमिट छाप छोड़ी है. उनका काम पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदना. ओम शांति.’’
1978 में की थी शंकर नेत्रालय की स्थापना
चेन्नई में जन्मे बद्रीनाथ के परिवार में उनकी पत्नी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वसंती बद्रीनाथ और दो बेटे अनंत और शेषु हैं. उन्होंने विदेश में अपनी पढ़ाई और रिसर्च पूरी करने के बाद साल 1978 में इसकी स्थापना की थी. डॉ. एसएस बद्रीनाथ को चिकित्सा में चमत्कार करने वाले के रूप में जाना जाता है. उन्होंने एक महान उद्देश्य की दिशा में काम किया. समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मुफ्त चिकित्सा उपचार देने में मदद की. उनका संगठन शंकर नेत्रालय गरीबों के लिए एक मंदिर बन गया.
कौन थे एसएस बद्रीनाथ?
सेंगामेदु श्रीनिवास बद्रीनाथ का जन्म चेन्नई के एक छोटे से शहर में हुआ था और जब जब उन्होंने युवावस्था में कदम रखा तब उन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था. एसएस बद्रीनाथ ने मां-बाप के निधन के बाद मिले बीमा के पैसों का उपयोग अपने पैशन यानी मेडिकल साइंस में अपना करियर बनाने में किया.
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत न्यूयॉर्क से की. वहां उन्होंने कई आंखों के अस्पतालों में काम किया. इसके बाद साल 1978 में डॉ. बद्रीनाथ ने चेन्नई में एक ऐसे चैरिटबल आई हॉस्पिटल की स्थापना की जिसने गरीबों का मुफ्त में इलाज करने की नींव रखी. अब यहां लगभग 1200 मरीज अस्पताल के दरवाजे पर आते हैं और प्रतिदिन 100 सर्जरी मुफ्त में की जाती हैं. सालों तक सराहनीय कामों के लिए डॉ. एसएस बद्रीनाथ को भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म श्री अवॉर्ड से भी नवाजा था.
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