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Sri Lanka Uses Financial Aid To Buy Books For 40 Lakh Students As India Helps In Economic Crisis


India Helps Sri Lanka in Economic Crisis: श्रीलंका में भारत की ओर से दी गई ऋण सहायता में से एक करोड़ डॉलर का इस्तेमाल विद्यार्थियों की किताबें छापने के लिए किया गया है. करीब 40 लाख विद्यार्थियों के लिए किताबें छापी जा रही हैं. भारत ने पिछले साल श्रीलंका को 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता देने की घोषणा की थी. श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने शनिवार (11 मार्च) को यह जानकारी दी. 

भारतीय उच्चायोग के मुताबिक, भारत ने श्रीलंका को मार्च 2022 में खाद्य, ईंधन, दवाओं और औद्योगिक कच्चे माल समेत जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रूप में ऋण सुविधा उपलब्ध कराई थी. उच्चायोग की ओर से बताया गया कि इस राशि में से श्रीलंकाई सरकार और निजी इंपोर्टर्स ने भारत से किताबों के लिए प्रिंटिंग कागज समेत सामग्री खरीदी, जिसके लिए एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का उपयोग किया गया है. 

छापी जा रहीं 40 लाख बच्चों की 45 फीसदी किताबें 

उच्चायोग ने जानकारी दी कि भारत की ओर से दी गई सहायता से शैक्षणिक वर्ष 2023 में श्रीलंका के 40 लाख पढ़ने वाले बच्चों की 45 फीसदी किताबों को छापने का काम किया जा रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारतीय उच्चायोग की ओर से जारी बयान में कहा गया, ”अब तक जरूरी चीजों, पेट्रोलियम, उर्वरकों, रेलवे के विकास, बुनियादी ढांचे, रक्षा क्षेत्र और नवीकरणीय ऊर्जा समेत कई क्षेत्रों में श्रीलंका को चार अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की ऋण सहायता दी गई है.”

किताबों की एक खेप भेजी गई

उच्चायोग की ओर से इस बारे में ट्वीट भी किया गया. इसमें कहा गया कि श्रीलंका के बच्चों के भविष्य के लिए भारत मदद कर रहा है. भारतीय उच्चायोग और श्रीलंका के शिक्षा मंत्री सुशील प्रेमजयंता ने औपचारिक रूप से टेक्स्ट बुक की एक खेप भेज दी है, जिन्हें भारत की मदद से स्टेट प्रिंटिंग कॉरपोरेशन में छापा गया है.

श्रीलंका का आर्थिक संकट

बता दें विदेशी ऋण न चुका पाने के कारण मई 2021 में श्रीलंका ने खुद के डिफॉल्ट होने की घोषणा की थी. इतिहास में पहली बार श्रीलंका ने आर्थिक संकट का यह बुरा दौर देखा. पिछले वर्ष आर्थिक तंगी के कारण श्रीलंका में अराजकता का माहौल देखा गया था. राष्ट्रपति भवन और सरकारी कार्यालयों में लोगों ने डेरा डाल दिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था. वहीं, भारत संकट के समय में हमेशा श्रीलंका के साथ खड़ा रहा और उसकी कई तरह से मदद की. 

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