दुनिया

Space War Where Do The US And Indian Forces Stand Against The Satellites Of The Chinese Army Abpp


साल 2019,  मार्च का महीना था जब भारत अपनी सुरक्षा को लेकर एक ऐसे सैन्य अभ्यास करने की तैयारी कर रहा था. यह अभियान समुद्र और सीमाओं से परे स्पेस की सुरक्षा से जुड़ा था. इस अभ्यास में भारत ने ‘मिशन शक्ति’ के तहत अपने पुराने सैटेलाइट को बैलिस्टिक मिसाइल से मार गिराया और एंटी सैटेलाइट वेपन के सफल परीक्षण के साथ भारत भी दुनिया के एंटी वेपन लीग का हिस्सा बन गया.  

भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन भी सफलतापूर्वक अपनी क्षमता का परीक्षण कर चुके हैं. अमेरिका वह पहला देश था जिसने एंटी सैटेलाइट वेपन बनाया था. यह हवा से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल थी, जिसका नाम था बोल्ड ओरियन. वहीं भारत के पड़ोसी देश चीन ने भारत से 12 साल पहले साल 2007 में ही एंटी सैटेलाइट वेपन का सफल परीक्षण कर लिया था. 

अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा चीन

भारत का पड़ोसी देश चीन अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है. दरअसल अंतरिक्ष में मौजूद तमाम देशों के सैटेलाइट में से वर्तमान में चीन के लगभग 700 सैटेलाइट मौजूद हैं और उसमें से 347 चीनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की है जो कि खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में इस देश की मदद करते हैं. 

जिस गति से चीन ने अपने अंतरिक्ष अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. वह चौंकाने वाला है. चीन की इन सफलताओं ने अमेरिका में हलचल मचा दी है. इसे अमेरिका में एक चेतावनी की तरह देखा जा रहा है. 

अमेरिकी स्पेस फोर्स चीफ का दावा, चीन बना रहा ये बड़ा प्लान

अमेरिका के स्पेस फोर्स चीफ (Space Force Chief) बी चांस साल्ट्ज़मैन (B. Chance Saltzman) ने दावा किया है कि बीजिंग एंटी-सैटेलाइट मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक जैमर, लेजर और टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है जो की उनके सैटेलाइट्स को मार सकता है. उन्होंने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए 347 सैटेलाइट हैं. उन्होंने बीते मंगलवार एक लिखित बयान में कहा, “पिछले छह महीनों में, चीन ने 35 सेटेलाइट लॉन्च किए हैं जिसमें एडवांस कम्यूनिकेशन और निगरानी रखने की क्षमता है. 

खुफिया जानकारी इकट्ठा कर रहा चीनी सैटेलाइट

अमेरिकी अंतरिक्ष बल के प्रमुख के अनुसार, चीन ने पिछले छह महीनों में दर्जनों सैटेलाइट लॉन्च किए हैं और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास अब 347 ऑर्बिटिंग क्राफ्ट हैं जो अमेरिकी सशस्त्र बलों की जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं.

बी चांस साल्ट्जमैन ने कहा कि फिलहाल अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बीजिंग है क्योंकि चीन अब लेजर सिस्टम तैयार कर रहा है. जिसके जरिए संचार, निगरानी और GPS सैटेलाइट को बर्बाद किया जा सकता है. अगर सैटेलाइट को नष्ट कर दिया गया तो मिसाइलें टारगेट का पता नहीं लगा सकेंगी. 

उन्होंने कहा कि चीन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि उसका साल 2045 तक अंतरिक्ष में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनने का सपना पूरा है सके. अंतरिक्ष में छोटे-छोटे सैटेलाइट पहुंचाना चीन की इसी योजना का हिस्सा है. 

चीन के मंसूबों पर संदेह?

नासा के वर्तमान प्रशासक बिल नेल्सन ने पॉलिटिको को दिए एक इंटरव्यू में कहा ‘एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसके अनुसार साल 2022 में चीन ने 60 से ऊपर तक के अंतरिक्ष प्रक्षेपण किए थे. उन्होंने कहा कि ऐसा कहना असंभव नहीं है कि आने वाले कुछ सालों में चीन हमसे कह दे कि यहां से दूर जाओ, यह हमारा इलाका है. 

अब पढ़िए भारत के वायुसेना प्रमुख ने क्या कहा?

भारत के वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने मंगलवार को ‘पीएचडीसीआई डीईएफ एक्स टेक इंडिया-2023’ के उद्घाटन पर कहा, ‘भारत को भविष्य की प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर भी जोर दिया जाना चाहिए. भविष्य में युद्ध जमीन, वायु और समुद्र के साथ-साथ अंतरिक्ष में भी लड़े जाएंगे.’

चीफ मार्शल ने कहा कि हमें अंतरिक्ष में अपनी शुरुआती सफलताओं से सीखने, उसका लाभ उठाने और भविष्य के लिए खुद को तैयार करने की भी जरूरत है. उन्होंने भारतीय एयरोस्पेस उद्योग के साथ-साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी जैसे अन्य प्लेयर्स से भविष्य के लिए सहयोग करने का आह्वान किया

क्या होते हैं एंटी सैटेलाइट हथियार

हमारी दुनिया में टेक्नॉलॉजी इतनी महत्वपूर्ण हो गई है. अब तमाम देश सैन्य के साथ नागरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सैटेलाइट्स पर निर्भर हैं. ऐसे में दुनिया के सभी देश इस होड़ में लगे हुए हैं कि वो इतना ताकतवर हो जाएं कि दूसरे देश से बीच जंग की स्थिति बनती है तो वह उस देश के सैटेलाइट्स को नष्ट कर पूरे मिसाइल सिस्टम को ही फेल कर दें.  इसके साथ ही कम्युनिकेशन सिस्टम पूरी तरह से ठप हो जाएगा. इसी काम के लिए एंटी सैटेलाइट मिसाइल बनाया जाता है. एंटी सैटेलाइट मिसाइलों से हमला कर कोई भी देश अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे दुश्मन देश के सैटेलाइट को नष्ट कर सकता है. इस तकनीक को ही एंटी मिसाइल तकनीक कहते है. हालांकि अब तक किसी भी देश ने इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया है. 

कितने तरह के होते हैं एंटी-सैटेलाइट हथियार 

1. एंटी सैटेलाइट वेपन को दो तरह से बांटा जा सकता है. एक वो हथियार जो काफी ताकतवर तरीके से हमला करते हैं. एंटी सैटेलाइट हथियार काइनेटिक ऊर्जा का फायदा उठाकर उसकी सैटेलाइट से टक्कर कराकर खत्म कर दिया जाता है.

2. वहीं दूसरा प्रकार है नॉन-काइनेटिक हथियार. यानी वो हथियार जिसमें किसी तरह के मिसाइल, रॉकेट या ड्रोन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. बल्कि साइबर अटैक किया जाता है. सैटेलाइट्स को लेजर के जरिए बेकार कर दिया जाता है. ऐसे हमले हवा, धरती की निचली कक्षा या फिर जमीन से भी किया जा सकता है. 

एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के मामले में टॉप पर है अमेरिका

अमेरिका के पास मौजूद अंतरिक्ष में सैटेलाइट को निशाना बनाने वाली मिसाइलें इतनी ताकतवर है कि यह अंतरिक्ष में काफी दूर सैटेलाइट्स को भी अपना शिकार बना सकती है. इसके अलावा अमेरिका इन एंटी सैटेलाइट मिसाइलों को अपने डिफेंस सिस्टम के साथ भी तैनात कर सकता है. इस देश का दावा है कि उसकी मिसाइल रक्षा प्रणाली लंबी दूरी की मिसाइलों से बचाने के लिए है.

भारत के पास कौन सा एंटी सैटेलाइट हथियार है

भारत ने सबसे पहली बार साल 2019 के मार्च महीने में बैलिस्टिक मिसाइल से धरती की निचली कक्षा में घूम रहे अपने ही एक सैटेलाइट को मार गिराया था. वर्तमान में भारत के पास एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (पैड) सिस्टम है. प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर के नाम से जाना जाने वाले यह सिस्टम एक्सो-एटमोस्फियरिक (पृथ्वी के वातावरण से बाहर) और एंडो-एटमोस्फियरिक  (पृथ्वी के वातावरण से अंदर) के टारगेट पर हमला कर सकता है. 

इसके अलावा भारत के वैज्ञानिकों ने पुराने मिसाइल सिस्टम को भी अपग्रेड कर उसमें कई नए एलीमेंट जोड़े हैं. जिसका मतलब है कि भारत में पहले से मौजूद पैड सिस्टम को अपग्रेड कर तीन स्टेज वाला इंटरसेप्टर मिसाइल बनाया गया. फिर साल 2019 में किए गए मिशन शक्ति के परीक्षण में उसी का मिसाइल का इस्तेमाल किया गया.

भारत के एंटी सैटेलाइट मिसाइल की रेंज 2000 किमी है. यह 1470 से 6126 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सैटेलाइट की तरफ बढ़ती है. 

क्या एंटी सैटलाइट वेपन बनेगा स्पेस वार का कारण

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से चल रहे युद्ध से लेकर चीन-ताइवान के बीच तनावपूर्ण स्थिति, भारत-चीन के बिगड़ते रिश्ते जैसी तमाम वैश्विक घटनाएं देखें तो आने वाले कुछ सालों में स्पेस युद्ध की परिकल्पना की जा सकती है.  कई देश एंटी-सैटेलाइट हथियार भी बना चुके हैं. सैटेलाइट्स को मार गिराने का मतलब है संचार, नेविगेशन, निगरानी समेत कई सुविधाओं का बंद होना. 

अगर स्पेस वॉर होता है तो सबसे पहले मिलिट्री सैटेलाइट्स को टारगेट किया जा सकता है. मिलिट्री सैटेलाइट्स की मदद से किसी भी देश की सेना को वॉरशिप्स, फाइटर प्लेन और दूसरे एडवांस वेपंस के बारे में जानकारी और लोकेशन मिलती है. ऐसे में अगर एक देश दूसरे देश के सेटेलाइट को नष्ट करने में कामयाब हो जाता हो तो फाइटर एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिक मिसाइलें काम करना बंद कर देंगी. अगर सीक्रेट सैटेलाइट पर हमला हुआ तो मिलिट्री का पूरा कम्युनिकेशन सिस्टम तबाह हो जाएगा.

स्पेस वॉर को क्या नतीजे होंगे, दुनिया पर क्या होगा असर?

अब सवाल उठता है कि आखिर स्पेस वॉर होता है तो इसके दुनिया पर क्या असर पड़ेगा. दरअसल अंतरिक्ष के लो अर्थ ऑर्बिट में वर्तमान में बड़ी संख्या में सैटेलाइट मौजूद हैं. अगर कोई देश अपने एंटी सैटेलाइट वेपन से इस दूसरे देश के सैटेलाइट पर हमला करता है तो कई तरह की दिक्कत हो सकती है. नेविगेशन सैटेलाइट पर अटैक तो मोबाइल की जियो लोकेशन खत्म हो जाएंगी.  इसका असर उड़ानों पर भी पड़ेगा साथ ही  हाईस्पीड रेल नेटवर्क भी काम करना बंद कर देगा. 

अंतरिक्ष में भारत की स्थिति

  • भारत ने काफी सालों से अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए अंतरिक्ष में अपनी स्थिति मज़बूत बनाई है. हालांकि वह अब भी पड़ोसी देश चीन के समकक्ष नहीं आ सका है.
  • भारत ने कम्यूनिकेश, नेविगेशन, पृथ्वी अवलोकन और अन्य सेटेलाइटों को मिलाकर 100 से ज्यादा अंतरिक्ष यान मिशन संचालित किये हैं. 
  • मिशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए भारत ने काउंटर-स्पेस क्षमता विकसित करने की दिशा में पहला कदम तब उठाया जब उसने कम वज़न वाली पृथ्वी की कक्षा में 283 किमी. की ऊँचाई पर स्थित 740 किलोग्राम के माइक्रोसैट-R उपग्रह को नष्ट करने के लिये 19 टन की इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च की. 

#Space #War #Indian #Forces #Stand #Satellites #Chinese #Army #Abpp

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button