बिज़नेस

Richest Indian Persons Donated Less To Charity And Social Work Despite Rise In Wealth

[ad_1]

वित्त वर्ष 2021-22 भारतीय धनकुबेरों (India’s Richests) के लिए काफी बढ़िया साबित हुआ था. इस दौरान देश के सबसे अमीर लोगों यानी अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (Ultra High Networth Individuals) की दौलत 9 फीसदी से ज्यादा बढ़ी, लेकिन सामाजिक कामों (Social Sector) पर उनका खर्च कम हो गया. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.

इतना कम हुआ यूएचएनआई का योगदान

कंसल्टिंग फर्म बेन एंड कंपनी (Bain & Company) और डासरा (Dasra) ने मिलकर इंडिया फिलेंथ्रॉपी रिपोर्ट 2023 (India Philanthropy Report 2023) तैयार की है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के यूएचएनआई की नेटवर्थ (UHNI Networth) में 9 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई. हालांकि अगर विप्रो के फाउंडर चेयरमैन अजीम प्रेमजी (Wipro Founder Chairman Azim Premji) के हिस्से को हटा दिया जाए तो, सामाजिक कार्यों में इनका योगदान कम होकर 3,843 करोड़ रुपये रह जाता है. यह योगदान साल भर पहले यानी वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 4,041 करोड़ रुपये रहा था. यूएचएनआई ऐसे लोगों को कहा जाता है, जिनकी नेटवर्थ 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है.

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में विप्रो के शेयरों की पुनर्खरीद (Wipro Share Buyback) से अजीम प्रेमजी के फाउंडेशन (Azim Premji Foundation) के पास पर्याप्त नकदी थी. इस कारण उन्होंने सामाजिक कार्यों में तब 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दिया था, जो वित्त वर्ष 2021-22 में कम होकर 484 करोड़ रुपये रह गया था. इसी कारण रिपोर्ट तैयार करते समय अजीम प्रेमजी के योगदान को बाहर रखा गया है.

कंपनियों के सीएसआर में आई तेजी

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 के दौरान कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्वों (CSR) के तहत सामाजिक कार्यों पर खर्च में तेजी आई. यह 2021-22 में 27 हजार करोड़ रुपये रहा, जो साल भर पहले यानी 2020-21 की तुलना में 5 फीसदी ज्यादा रहा. सीएसआर के तहत कंपनियों को पिछले तीन साल के अपने औसत मुनाफे का 2 फीसदी हिस्सा खर्च करना होता है.

रिटेल सेगमेंट का भी बढ़ा योगदान

रिपोर्ट के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अब ज्यादातर कंपनियां सीएसआर के अनिवार्य नियम का पालन करने लगी हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में बीएसई 200 कंपनियों (BSE 200 Companies) ने सीएसआर के तहत 1,200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त योगदान दिया. इसी तरह रिटेल सेगमेंट का योगदान करीब 18 फीसदी बढ़ा. कुल मिलाकर देखें तो सामाजिक कार्यों पर खर्च इस दौरान बढ़कर जीडीपी के 9.6 फीसदी के बराबर पहुंच गया.

सरकार ने सामाजिक कार्यों पर किया ये खर्च

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सामाजिक कार्यों पर कुल खर्च 22.6 लाख करोड़ रुपये रहा. हालांकि इसमें से करीब 95 फीसदी हिस्सा सरकारी खर्च का रहा. नीति आयोग (Niti Aayog) के एक अनुमान के हिसाब से संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास (United Nations Sustainable Development Goals) लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत को सामाजिक कार्यों पर जीडीपी के 13 फीसदी के बराबर खर्च करने की जरूरत है. रिपोर्ट ने इसे पाने के लिए प्राइवेट सेक्टर के योगदान को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है.

#Richest #Indian #Persons #Donated #Charity #Social #Work #Rise #Wealth

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button