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Pakistan Toshakhana Controversy: पाकिस्तान में आर्थिक तंगी का दौर चल रहा है. उसे देश दुनिया में कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है. मुल्क़ के पीएम शहबाज शरीफ देश के हालात के लिए पूर्व पीएम इमरान खान पर आरोप लगा रहे हैं तो वहीं इमरान शहबाज को मुल्क की बदतर स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान में तोशाखाना गिफ्ट कंट्रोवर्सी ने एक बार फिर देश के कई नेताओं को कटघरे में ला दिया है.

तोशाखाना गिफ्ट कंट्रोवर्सी से साफ है कि देश के पूर्व पीएम समेत कई नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. उन्होंने सत्ता का दुरुपयोग किया है. दरअसल लाहौर हाईकोर्ट (LHC) ने 2002 से अब तक तोशाखाना गिफ्ट के रेकॉर्ड को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद अब शहबाज सरकार को मजबूरन इसे जारी करना पड़ा है जिससे पता चला है कि इससे पता चला है कि करोड़ों के गिफ्ट लाखों में लिए गए हैं और इमरान के अलावा शरीफ परिवार भी इसमें आगे रहा है.

466 पन्नों का रिकॉर्ड
शहबाज सरकार ने तोशाखाना गिफ्ट कंट्रोवर्सी का 466 पन्नों का रिकॉर्ड सरकारी वेबसाइट पर डाला है. इस रिकॉर्ड को पढ़ने के बाद सारी तस्वीर साफ हो जाती है.सार्वजनिक किए गए डिटेल्स पर नजर डालें तो इमरान से शहबाज तक की तस्वीर साफ हो जाती है. सार्वजनिक किए गए रिकॉर्ड के मुताबिक, पूर्व पीएम इमरान खान को 8.5 करोड़ पाकिस्तानी रुपए की एक सोने की घड़ी,56 लाख की कफलिंक, 15 लाख का पेन और 85 लाख की अंगूठी मिली थी. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि पूर्व पीएम ने इसके लिए  सिर्फ 2 करोड़ रुपये दिए थे. 

पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बात करें तो उन्होंने 5.7 करोड़ रुपए की BMW 760 Li कार और 5 करोड़ रुपए की टोयोटा लेक्सस LX 470 कार महज 1.6 करोड़ रुपए में खरीद लिया. 

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 2013 में 11 लाख रुपए की रोलेक्स घड़ी, 25 हजार रुपए के कफलिंक और पेन और 15 हजार रुपए के कुवैत सेंट्रल बैंक के चार स्मारक सिक्के अपने पास रख लिए. शहबाज ने इसके बदले सिर्फ और सिर्फ  24 हजार रुपए जमा कराए.

पाकिस्तान में तोशाखाना क्या है?

तोशाखाने का मतलब ऐसे कमरे से है जहां राजा या अमीरों के कपड़े, गहने और महंगी चीजें जैसे कि उपहार आदि संभालकर रखे जाते हैं. पाकिस्तान में सरकार के संग्रहस्थान को तोशाखाना नाम दिया गया है, जिसे अंग्रेजी में स्टेट डिपॉजिटरी भी कहते हैं. पाकिस्तान के कानून के मुताबिक, विदेशों से या विदेशी मेहमानों से मिले उपहारों को इसी तोशाखाने में जमा कर दिया जाता है. प्रधानमंत्री अगर उपहार अपने पास रखना चाहे तो उसे उसका मूल्य चुकाना होगा. इन उपहारों की नीलामी भी की जा सकती है. नीलामी से अर्जित धन सरकारी खजाने में ही जाएगा. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री को मिले उपहार राष्ट्र की संपत्ति हैं. 

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