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Odisha Naveen Patnaik Includes 22 Castes In SEBC List


Odisha SEBC: अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले, ओडिशा कैबिनेट ने बीते शनिवार 21 जनवरी को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों SEBC की सूची में 22 पिछड़ी जातियों, समुदायों को शामिल करने की मंजूरी दे दी. पटनायक सरकार का ये एक ऐसा कदम है जिसके महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस मामले पर कैबिनेट के फैसले के बाद विकास आयुक्त पीके जीना ने कहा कि इस निर्णय से 22 जातियों के लोगों को सभी सामाजिक कल्याण और उनके लाभ को उठाने में मदद मिलेगी. इससे उनका समावेशी विकास होगा और उन्हें विकास की मुख्य धारा में लाया जा सकेगा.

ओडिशा में इसको लेकर पीछे काफी समय से मांग हो रही थी. ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (OSCBC) ने पिछले साल अक्टूबर में नवीन पटनायक सरकार को SEBC सूची में 22 जातियों को शामिल करने की सिफारिश की थी.

इन जातियों को किया गया है शामिल

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जिन 22 जातियों को एसईबीसी लिस्ट में शामिल किया गया है, उनमें बढ़ई, बिंदनी, बिंदानी, बाराजी, बरोई, शंखुआ तांती, गोला तांती, लज्य निवारण, हांसी तांती, कपाड़िया, गंधमाली, थानापति, पंडारा माली, पनियार माली, पंडरिया, ओडी-खंडायत, बयालिशा, ओडा, ओडा-पाइका, ओडा-पैको, हलदिया-तेली और कालंदी शामिल हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि चूंकि राज्य ने कभी जाति जनगणना नहीं की है, इसलिए इन 22 जातियों और समुदायों की संख्या बताना मुश्किल है, लेकिन वे राज्य की आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

पटनायक ने जाति आधारित जनगणना पर दिया जोर

भले ही ओडिशा में बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों की तरह जाति के आधार पर चुनाव न लड़े जाते हों, लेकिन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में जाति आधारित जनगणना के लिए जोर दिया था. केंद्र से आगामी जनगणना में कास्ट डिटेल शामिल करने का अनुरोध किया था. इसके साथ ही उन्होंने OSCBC के माध्यम से पिछड़े वर्गों के लोगों की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का सर्वेक्षण करने की प्रक्रिया भी शुरू की थी. हालांकि, प्रक्रिया को कोविड -19 के प्रकोप के बाद रोक दिया गया था.

दिसंबर के महीने में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा को सूचित किया था कि महाराष्ट्र, ओडिशा और बिहार और कुछ संगठनों ने केंद्र सरकार से आगामी जनगणना में जाति विवरण शामिल करने का अनुरोध किया है.

एसईबीसी की आधिकारिक जनगणना नहीं

हालांकि, एसईबीसी की संख्या की गणना करने के लिए कोई आधिकारिक जनगणना नहीं की गई है, अपुष्ट स्रोतों के अनुसार, ओडिशा में पिछड़े वर्गों की संख्या राज्य की आबादी का लगभग 54% है. ओडिशा में लगभग 209 समुदायों की पहचान पिछड़े वर्गों के रूप में की गई है. तो वहीं, कैबिनेट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के ओबीसी सेल के नेता सुरथ बिस्वाल ने कहा, ‘ये 22 जातियां/समुदाय 1993-94 से केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में शामिल हैं. राज्य सरकार ने उन्हें एसईबीसी के रूप में सूचीबद्ध न करके उनके अधिकारों से क्यों वंचित रखा?

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