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Myanmar Political Crisis: United Nations Says Junta Elections Will Fuel Violence, So International Community To Unite In Opposition | म्यांमार में जुंटा चुनाव कराने की तैयारी में, संयुक्त राष्ट्र ने कहा


Elections in Myanmar: तख्तापलट की मार झेल रहे म्यांमारवासियों के लिए आने वाला समय और मुश्किलों भरा हो सकता है. यहां लगभग दो साल पहले सेना ने लोकतंत्र की मुखिया आंग सान सूकी की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका था और शासन सेना प्रमुख ने अपने हाथ में ले लिया था. पिछले कुछ समय से म्यांमार के सेना प्रमुख यह कह रहे हैं कि वे देश में बहुदलीय चुनाव कराएंगे.

म्‍यांमार में जुंटा के चुनाव से हिंसा भड़क सकती है

म्यांमार सेना की ओर से कराए जाने वाले चुनाव की योजना पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से चिंता जताई गई है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने मंगलवार को कहा कि म्यांमार में इस साल चुनाव कराने की जुंटा की योजना अधिक हिंसा को बढ़ावा देगी. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जुंटा के चुनाव के विरोध में एकजुट होने का आह्वान किया है.

बता दें कि सेना के जनरल ने 2023 तक देश से आपातकाल हटाने की घोषणा की थी. साथ ही उन्‍होंने अगस्त 2023 तक देश में बहुदलीय चुनाव कराने का वादा किया था, लेकिन सैन्‍य सत्‍ता में देश के कानून काफी हद तक बदल दिए गए हैं, तो आशंका जताई जा रही है कि जो चुनाव होगा, वो मौजूदा सेना प्रमुख अपने हिसाब से कराएंगे. 

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत नोलीन हेज़र ने एक बयान में कहा, “सैन्य संचालित कोई भी चुनाव अधिक हिंसा को बढ़ावा देगा, संघर्ष को लम्बा खींचेगा और लोकतंत्र और स्थिरता की वापसी को और कठिन बना देगा.” उन्‍होंने इन चुनावों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक मजबूत एकीकृत स्थिति बनाने का आह्वान किया है. 

अमेरिका ने भी ऐसी ही बात कही. उसके अधिकारियों के मुताबिक, म्‍यांमार में अब होने वाला कोई भी चुनाव बस दिखावा मात्र होगा. वहीं, जुन्टा के सहयोगी रूस के नेताओं की राय यूएन और यूएस से अलग है. मॉस्को का कहना है कि वह चुनाव कराने का समर्थन करता है. 

म्‍यांमार के संभावित चुनाव पर चिंतित है यूएन

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि वह राजनीतिक नेताओं, अभिनेताओं और पत्रकारों की जारी गिरफ्तारी, धमकी और उत्पीड़न के बीच चुनाव कराने के सेना के घोषित इरादे से चिंतित हैं. बयान में कहा गया है, “म्यांमार के लोगों को स्वतंत्र रूप से अपने राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करने की अनुमति देने वाली शर्तों के बिना, प्रस्तावित चुनाव अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं.”

जुंटा ने मौजूदा और महत्वाकांक्षी राजनीतिक दलों को इस महीने एक सख्त नए चुनावी कानून के तहत फिर से पंजीकरण करने के लिए दो महीने का समय दिया, यह ताजा संकेत है कि वह इस साल नए चुनाव की योजना बना रहा है. वहीं, पर्यवेक्षकों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में नियोजित मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं हो सकता है. 

म्यांमार की स्थिति पर आया था यूएन में प्रस्‍ताव 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पिछले महीने म्यांमार की स्थिति पर अपना पहला प्रस्ताव पारित किया, जिसमें जुंटा से सू की और सभी मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए कैदियों को रिहा करने का आग्रह किया गया. सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन और रूस ने शब्दों में संशोधन के बाद वीटो का इस्तेमाल नहीं करने का विकल्प चुना. 

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