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PM Modi Mann Ki Baat Highlights: मन की बात कार्यक्रम के 97वां एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों पर बातचीत की. इससे पहले 25 दिसंबर 2022 को पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम किया था. यानी आज का मन की बात एपिसोड इस साल का पहला कार्यक्रम था. चलिए आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं, आज देश के प्रधानमंत्री ने अपने मन की कौन सी बातें देशवासियों के सामने रखीं. 

मन की बात में पीएम मोदी ने ई-वेस्ट (E-Waste) का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा ई-कचरा को ठीक से व्यवस्थित नहीं किया गया, तो यह हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है. आज जिस तरह से देश दुनिया में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का क्रेज बढ़ता जा रहा है, यही गैजेट जहर बनकर हमारे वातावरण में वापस आ रहे हैं. 

क्या है ई-वेस्ट (E-Waste)

ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (Electronic Waste). हम अपने घरों और उद्योगों में जिन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते है, वहीं बेकार फेंका हुआ कचरा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (ई-वेस्ट) कहलाता है. यह पर्यावरण के लिए परेशानी तब बनते हैं जब इसका सही तरीके से कलेक्शन नहीं किया जाता है और गैर-वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जाता है. 

मन की बात में और क्या कुछ बोले पीएम मोदी?

गणतंत्र दिवस समारोह- पीएम मोदी ने मन की बात में गणतंत्र दिवस समारोह का जिक्र किया. उन्होंने कहा परेड के अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है. 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा. इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली महिला ऊंट सवार और CRPF की महिला टुकड़ी भी काफी सराहना हो रही है. 

जनजातीय भाषा- जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर शोध के प्रयास भी होते हैं. ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं. यह हम सभी के लिए गर्व की बात है. 

भारत का लोकतंत्र- पीएम मोदी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश लोकतंत्र की जननी भी है. लोकतंत्र हमारी रगों में हैं, हमारी संस्कृति में है. सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है. स्वभाव से हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं. 

भारतीय संसद- डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी. उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां प्रस्ताव, संकल्प, कोरम और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे. बाबासाहेब का मानना था कि भगवान बुद्ध को इसकी प्रेरणा उस समय की राजनीतिक व्यवस्थाओं से मिली होगी. 

योग दिवस और बाजरा वर्ष – संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष दोनों का निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है. योग भी स्वास्थय से जुड़ा है और बाजरा भी स्वास्थय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. दोनों अभियानों में जनता की भागीदारी के कारण एक क्रांति रास्ते पर है. 

पर्पल फेस्ट इवेंट- पीएम ने इस दौरान गोवा में पर्पल फेस्ट इवेंट का भी जिक्र किया. दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने-आप में एक अनूठा प्रयास था. 50 हजार से भी ज्यादा हमारे भाई-बहन इसमें शामिल हुए. यहां आए लोग इस बात को लेकर रोमांचित थे कि वो अब ‘मीरामार बीच’ घूमने का भरपूर आनंद उठा सकते हैं. 

जलवायु परिवर्तन- उन्होंने कहा आज पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है.  इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते हैं. अब हमारे देश में रामसर साइट्स की कुल संख्या 75 हो गई है, जबकि 2014 से पहले देश में केवल 26 रामसर साइट्स थीं. 

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