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Jammu Kashmir Property Tax To Be Imposed In Municipal Areas From April 1 National Conference Opposes Move

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Property Tax in Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार (21 फरवरी) को केंद्र शासित प्रदेश के नगरपालिका क्षेत्रों में प्रॉपर्टी टैक्स संबंधी अधिसूचना जारी की है. इसमें एक अप्रैल से प्रॉपर्टी टैक्स लगाने का आदेश दिया गया है. अधिसूचना के मुताबिक, आवासीय संपत्तियों के लिए टैक्स की दरें टैक्सेबल एनुअल वैल्यू (TAV) का 5 प्रतिशत और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए 6 फीसदी होंगी. 

इसमें नगर पालिका की जमीन, पूजा स्थलों, श्मशान-कब्रिस्तान, भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार के स्वामित्व वाली संपत्तियों को छूट दी गई है. आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव एच राजेश प्रसाद ने एक अधिसूचना में कहा, “जम्मू और कश्मीर नगरपालिका अधिनियम 2000 की धारा 71ए की ओर से दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए, केंद्र शासित प्रदेश की नगर पालिकाओं और नगरपालिका परिषदों में संपत्ति कर लगाने, मूल्यांकन और संग्रह करने के नियमों को अधिसूचित करती है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने किया विरोध

अब इस पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा, “जम्मू और कश्मीर के लोग 2019 से आर्थिक रूप से परेशान हैं. 5 अगस्त 2019 में लगाए गए प्रतिबंधों और बाद में COVID-19 के लगाए गए लॉकडाउन के कारण लोगों को काफी नुकसान उठा पड़ा है. दिल्ली में सत्ता में रहने वालों की यह आदत बन गई है कि वे अपने आदेश से लोगों के साथ अन्याय करते हैं और जनमत का अपमान करते हैं.” 

13 जनवरी को किया था सूचित

अधिसूचना के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश में नगरपालिका क्षेत्रों में संपत्ति कर लगाने की सुविधा के लिए जम्मू और कश्मीर संपत्ति कर अधिनियम-2000 के नियमों को अधिसूचित किया गया था. अधिसूचना के मुताबिक, संपत्ति कर नगरपालिका सीमा के भीतर सभी भूमि और भवनों या खाली भूमि पर लगाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव की ओर से 13 जनवरी को आवास और शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव को सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया था. 

30 नवंबर तक देना होगा पहली किस्त

अधिसूचना के नियमों के अनुसार, संपत्ति कर के लिए उत्तरदायी व्यक्ति, वित्तीय वर्ष की 30 मई तक देय संपत्ति और कर का विवरण इस संबंध में अधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होगा. टैक्स की दूसरी किस्त 30 नवंबर तक पहली किस्त की प्राप्ति के प्रमाण के साथ देनी होगी. इससे पहले, जम्मू और कश्मीर में अधिकांश राजनीतिक दलों, व्यापारियों और नागरिक समाज समूहों ने संपत्ति कर लगाने का विरोध किया था. आलोचना के बाद प्रशासन ने संपत्ति कर लगाने की योजना को पहले ही छोड़ दिया था. 

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