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ISRO OneWeb Satellite Mission Internet Service Reach Every Corner Of World From Space, India Plays Important Role

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ISRO OneWeb Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO एक और कामयाबी हासिल करने के मुहाने पर है. 26 मार्च को इसरो श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 36 सैटेलाइट को प्रक्षेपित करेगा. इन सभी सैटेलाइट को प्रक्षेपण यान मार्क-3 (एलवीएम3)) के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. ये सभी सैटेलाइट संचार कंपनी वनबेव के हैं. 

उपग्रह संचार कंपनी वनवेब के लिए इसरो की वाणिज्यिक इकाई ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ (NSIL) का ये दूसरा मिशन होगा. नेटवर्क एक्सिस एसोसिएटेड लिमिटेड यानी वनवेब (OneWeb) यूके आधारित एक संचार कंपनी है. इसमें ब्रिटिश सरकार, भारतीय कंपनी भारती इंटरप्राइजेज, फ्रांस की यूटेलसैट, जापान के सॉफ्टबैंक, अमेरिका के ह्यूज्स नेटवर्क्स और दक्षिण कोरियाई रक्षा कंपनी हनव्हा हिस्सेदार हैं. ये  उपग्रह आधारित सेवा मुहैया कराने वाली संचार कंपनी है.  इसका मुख्यालय लंदन में है.

वनवेब के हो जाएंगे 600 से ज्यादा सैटेलाइट

इसरो के रविवार को होने वाले मिशन से वनवेब पृथ्वी की निचली कक्षा में 600 से अधिक उपग्रहों का समूह पूरा करने के लक्ष्य को भी हासिल कर लेगा. इससे अंतरिक्ष से दुनिया के कोने-कोने तक ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराने का रास्ता साफ हो जाएगा. वनबेव इसरो के मिशेन को लेकर बेहद उत्साहित है. उस कंपनी का कहना है कि इसरो का ये प्रक्षेपण मिशन वैश्विक कवरेज पाने के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा. इसरो के साथ इस आखिरी प्रक्षेपण से अंतरिक्ष में 600 से अधिक उपग्रह हो जाएंगे. ऐसे तो इसरो का वनवेब के लिए दूसरा मिशन होगा, लेकिन अंतरिक्ष से इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वनवेब का ये 18वां लॉन्च होगा. यूके आधारित इस कंपनी के अब तक 582 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित हो चुके हैं. इससे पहले 9 मार्च  स्पेसX फाल्कन 9  रॉकेट ने वनवेब के 40 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित किया था. इसरो के मिशन से वनवेब के लिए अंतरिक्ष प्रक्षेपण की पहली पीढ़ी का समूह पूरा हो जाएगा.

वनवेब का इसरो से हुआ था करार

इसरो का एलवीएम3 लॉन्च व्हीकल, वनवेब के 36 उपग्रहों को 26 मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा. वनबेव के लिए इसरो का ये दूसरा प्रक्षेपण मिशन होगा. इससे पहले 23 अक्टूबर 2022 को इसरो ने वनवेब के पहले 36 उपग्रह को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया था. इसरो के वाणिज्यिक शाखा ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ ने वनवेब से दो फेज में 72 सैटेलाइट लॉन्च करने का करार किया था. इस करार के तहत लॉन्च फीस एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा था. ये करार इसरो के सबसे बड़े उपग्रह प्रक्षेपण वाणिज्यिक ऑर्डर में से एक है.  एनएसआईएल का ये प्रक्षेपण इसरो के कमर्शियल पहलू से बेहद महत्वपूर्ण है. इससे स्पेस कारोबार के जरिए देश में अरबों डॉलर आने की संभावनाओं को भी बल मिला है. न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड यानी एनएसआईएल इसरो की वाणिज्यिक शाखा है. इसके पास अंतरिक्ष सेवाओं की आपूर्ति के लिए उद्योग के जरिए बने रॉकेट और उपग्रह हासिल करने की भी जिम्मेदारी है.

LVM3-M3 से होगी लॉन्चिंग

वनवेब के लिए 36 सैटेलाइट को इसरो के सबसे भारी रॉकेट मार्क-3 (एलवीएम3) से प्रक्षेपित किया जाएगा. 2023 में इस रॉकेट का ये पहला प्रक्षेपण है. इस रॉकेट को सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से 26 मार्च को सुबह नौ बजे छोड़ा जाएगा. इस लॉन्च व्हीकल को पहले इसरो ने इस मिशन को LVM3-M3/OneWeb India-2 mission नाम दिया है. इस रॉकेट को पहले GSLV MK III के नाम से जानते थे.

भारत में भी शुरू होगी वनवेब की सेवा

वनवेब का कहना है कि इस साल के आखिर तक अंतरिक्ष से ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं दुनियाभर में शुरू हो जाएंगी. फिलहाल वनवेब 50 डिग्री उत्तरी अक्षांश से ऊपर स्थित देशों अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड, ब्रिटेन और उत्तरी यूरोप में अंतरिक्ष से इंटरनेट मुहैया करा रहा है. वनवेब की इस साल के अंत में भारत में सेवाएं शुरू करने की योजना है. हालांकि इसके लिए सभी नियामक मंजूरी की प्रक्रिया पूरी की जानी बाकी है. वनवेब ने भारत के दूरसंचार विभाग से जीएमपीसीएस उपग्रह सेवाओं से वैश्विक मोबाइल निजी संचार यानी GMPCS परमिट हासिल कर लिया है. जैसा कि हम जानते हैं कि वनवेब में इंडियन कंपनी भारती इंटरप्राइजेज की भी हिस्सेदारी है. वनवेब का मिशन पूरा होने से भारत में डिजिटल डिवाइड को दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी. वनवेब की सेवा से भारत के छोटे-छोटे शहरों, कस्बे, गांव-देहातों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट कम कीमत और बिना किसी बाधा के पहुंचाने में मदद मिलेगी. इससे देश के सुदूर कोनों तक तेज गति से इंटरनेट सेवा पहुंच पाएगी. इसरो के चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस. सोमनाथ इस मिशन को देश और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक बता चुके हैं.

वनवेब की योजना पूरी तरह से शुरू हो जाने के बाद इंटरनेट की दुनिया का कायाकल्प होने की उम्मीद है. सबसे ख़ास बात ये है कि इसरो और भारती इंटरप्राइजेज के जरिए इस मुहिम में भारत का भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा.   

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