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ऋतिक रोशन की हुई ऐसी हालत, बैसाखी का लेना पड़ रहा सहारा, फोटो शेयर कर बयां किया दर्द


Hrithik roshan injured- India TV Hindi

Image Source : INSTAGRAM
ऋतिक रोशन।

बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन इन दिनों अपनी हालिया रिलीज ‘फाइटर’ को लेकर चर्चा में हैं। एक्टर की फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल का प्रदर्शन किया। ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की जोड़ी लोगों को काफी पसंद आई। वैसे अब एक्टर एक इंजरी का शिकार हो गए हैं। इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर साझा की है। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उनकी मांस-पेशियों में इंजरी हुई, जिसकी वजह से एक्टर के फैंस की टेंशन बढ़ गई है। अपनी तस्वीर पोस्ट करते हुए ऋतिक रोशन ने एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है, जिसमें उन्होंने मनोस्थिति की बात की है। 

पोस्ट शेयर कर बताई दादा की कहानी

ऋतिक रोशन ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में अपनी एक तस्वीर पोस्ट की है। इस तस्वीर में वो बैसाखी के सहारे खड़े नजर आ रहे हैं। एक्टर ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ‘शुभ दोपहर। आपमें से कितने लोगों को कभी बैसाखी या व्हीलचेयर पर रहने की जरूरत पड़ी और इससे आपको कैसा महसूस हुआ? मुझे याद है कि मेरे दादाजी ने हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर पर बैठने से इनकार कर दिया था क्योंकि यह उनकी खुद की “मजबूत” मानसिक छवि के साथ मेल नहीं खाता था। मुझे याद है मैंने कहा था, ‘लेकिन डेडा, यह सिर्फ एक चोट है और इसका आपकी उम्र से कोई लेना-देना नहीं है!’ यह चोट को ठीक करने में मदद करेगा और उसे और अधिक नुकसान नहीं पहुंचाएगा!’ यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ कि अंदर के डर और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए उन्हें कितना मजबूत होने की जरूरत थी। मैं इसका अर्थ नहीं समझ सका। मुझे असहाय महसूस कराया। मैंने तर्क दिया कि एज फैक्टर इसकी वजह नहीं है क्योंकि उन्हें चोट के कारण व्हीलचेयर की आवश्यकता है, न कि बुढ़ापे की वजह से। उन्होंने इनकार कर दिया और अजनबियों (जिन्हें वास्तव में परवाह नहीं थी) के लिए मजबूत छवि प्रदर्शित की। इससे उनका दर्द बढ़ गया और उपचार में देरी हुई।’

ऋतिक रोशन ने बताया ह्यूमन नेचर

ऋतिक रोशन आगे कहते हैं, ‘उस तरह की कंडीशनिंग में निश्चित रूप से योग्यता है, यह एक गुण है। यह एक सैनिक की मानसिकता है। मेरे पिता भी उसी कंडीशनिंग से आते हैं। पुरुष मजबूत हैं, लेकिन अगर आप कहते हैं कि सैनिकों को बैसाखियों की कभी जरूरत नहीं होती और जब चिकित्सकीय रूप से पड़ती भी है तो उन्हें मना कर देना चाहिए, सिर्फ मजबूत होने का भ्रम बरकरार रखने के लिए, फिर मैं बस यही सोचता हूं कि इज्जत इतना हावी हो गई है कि यह सीधे-सीधे मूर्खता की सीमा पर पहुंच गई है। मेरा मानना है कि सच्ची ताकत आराम, संयम और पूरी तरह से जागरूक होना है कि कुछ भी नहीं, न बैसाखी, न व्हीलचेयर, न कोई अक्षमता या भेद्यता – और निश्चित रूप से कोई भी बैठने की स्थिति उस विशाल की छवि को कम या बदल नहीं सकती है जो आप अंदर से हैं।’

यहां देखें पोस्ट

इस वजह से लेना पड़ा बैसाखी का सहारा

इसी पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए ऋतिक रोशन ने लिखा, ‘सभी बाधाओं के बावजूद हमेशा मशीन गन के साथ “भाड़ में जाओ!” कहने वाला रेम्बो होना ही ताकत नहीं है। कभी-कभी यह निश्चित रूप से लागू है और यह वह प्रकार है जिसकी हम सभी आकांक्षा करते हैं। मैं भी, लेकिन ताकत तब अधिक प्रतिष्ठित होती है जब बाहर लड़ने वाला कोई न हो। यह आपके और आपकी “छवि” के बीच अंदर की शांत लड़ाई है। यदि आप उस भावना से बाहर आते हैं जैसे आप स्वयं धीमा नृत्य करना चाहते हैं, तो आप मेरे हीरो हैं। वैसे भी, कल एक मांसपेशी में खिंचाव आ गया और मैं ताकत की इस धारणा के बारे में जानने की इच्छा से जाग उठा। निःसंदेह यह एक बड़ी बातचीत है, बैसाखियां तो बस एक रूपक है। यदि आप इसे समते हैं, तो आप इसे समझ जाएंगे।’

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