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India’s Fiscal Deficit In April-December Widens On Year 59.8 Percent Of FY23


India Fiscal Deficit Data : भारत के राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) लगातार बढ़ता जा रहा है. वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 9 महीनों में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.93 लाख करोड़ रुपये रहा है. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) के पूरे साल के लक्ष्य का 58.9 फीसदी रहा है. केंद्र सरकार ने मंगलवार को ये आंकड़े जारी कर दिए हैं. जानिए भारत को कितना वित्तीय नुक़सान हुआ है. देखें क्या रहे आंकड़े….

इतना रहा राजकोषीय घाटा

इस वित्तीय वर्ष 2022 -23 के पहले 9 महीनों के लिए दिसंबर तक भारत का राजकोषीय घाटा 9.93 लाख करोड़ रुपये और वार्षिक अनुमान का 59.8 प्रतिशत रहा. अगर पिछले साल से इसकी तुलना करें तो इस अवधि में राजकोषीय घाटा 50.4 फीसदी से बढ़ गया है. साथ ही कुल राजस्व 18.25 लाख करोड़ रुपये रहीं है. अप्रैल से दिसंबर में कुल खर्च 28.18 लाख करोड़ रुपये रहा है. वे इस वित्तीय वर्ष के बजट लक्ष्य के 79.9 प्रतिशत और 71.4 प्रतिशत रहा था. 

कितना रहा राजस्व

इस अवधि में सरकार का राजस्व बढ़कर 17.70 लाख करोड़ रुपये रहा है. जिसमें टेक्स राजस्व 15.56 लाख करोड़ रुपये और नॉन टेक्स राजस्व 2.14 लाख करोड़ रुपये रहा है. कर और गैर-कर राजस्व बजटीय अनुमान का 80.4 फीसदी और 79.5 फीसदी थे, जोकि 1 साल पहले की अवधि में 95.4 फीसदी और 106.7 फीसदी से कम था.

कच्चे-तेल के दामों में आई बढ़ोतरी 

सरकार ने मई के महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी बढ़ोतरी के प्रभाव को कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी. सरकार को इससे राजस्व का काफी नुकसान झेलना पड़ा था. वही पीएम उज्जवला योजना के तहत 1 साल में 200 रुपये की सब्सिडी वाले 12 सिलेंडर देने के प्रावधान करने के साथ ही फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाई गई थी जिससे घाटा बढ़ा है. 

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एक्सपेंडिचर बढ़ने से बढ़ा घाटा 

सरकार ने सड़क से रेलवे तक आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर पर होने वाले खर्च में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की है, इससे घाटा भी बढ़ा है. मालूम हो कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister, Nirmala Sitharaman) ने बजट पेश करते हुए कहा था कि भारत अपने वित्तीय घाटे को जीडीपी का 6.4 फीसदी मौजूदा वित्त वर्ष में रखने का प्रयास करेगा.

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