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Congress Slams Ex Supreme Court Justice S Abdul Nazeer Becoming Andhra Pradesh Governor Know Who Can Be Guv According Constitution


Congress Ex-SC Judge S Abdul Nazeer: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नजीर (S Abdul Nazeer) को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल (AP Governor) बनाए जाने पर कांग्रेस (Congress) और अन्य विपक्षी दलों ने आपत्ति जाताई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने तो यहां तक कहा है कि शीर्ष अदालत के पूर्व जजों को सरकारी पोस्ट देना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है. इससे लोगों का यकीन जुडिशियरी पर कम होता चला जाता है. 

राशिद अल्वी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ”जजों को सरकारी जॉब देना, सरकारी पोस्ट देना, दुर्भाग्यपूर्ण है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी रिटायर्ड जजों को सरकार कहीं न कहीं भेज देती है, जिससे लोगों का यकीन जुडिशियरी पर कम होता चला जाता है. जस्टिस गोगोई को अभी तो राज्यसभा दी थी. अब जस्टिस नजीर साब को आपने गवर्नर बना दिया. रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुत लोग सवालिया निशान लगाते चले आ रहे हैं. जस्टिस गोगोई के बनने के बाद, जस्टिस नजीर को गवर्नर बनाना, उन लोगों के शक और शुब्हे को और मजबूत करता है.”

मणिकम टैगोर और जयराम रमेश का मोदी सरकार पर निशाना

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने नजीर की नियु्क्ति को लेकर कथित मोदी-अडानी संबंध का जिक्र करते हुए तंज कसा है. उन्होंने ट्वीट किया, ”मोदी अडानी के लिए काम करते हैं, कुछ ऐसे लोग हैं जो मोदी के लिए काम करते हैं और अब राज्यपाल हैं. फिर लोगों के लिए कौन काम करता है? भारत माता की जय.” कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की एक छोटी सी वीडियो क्लिप ट्विटर पर शेयर करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है. 

AIMIM नेता ने किया ये ट्वीट

वहीं, ऑल इंडिया मज्लिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता वारिस पठान ने एक तस्वीर ट्वीट किया है, जिसमें अयोध्या का फैसला सुनाने वाल पांचों न्यायमूर्ति दिख रहे हैं, साथ ही रिटायरमेंट के बाद उनकी पोस्ट्स को लेकर निशाना साधा है.

अयोध्या फैसले में शामिल थे एस अब्दुल नजीर

दरअसल, 2019 में अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था. तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (वर्तमान में सीजेआई हैं) और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे.

बीजेपी नेता ने ऐसे किया पलटवार

बीजेपी की ओर से भी पलटवार किया जा रहा है. बीजेपी नेता बीएल संतोष ने अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाने पर हो रहे कथित विरोध को कांग्रेस-वामपंथी इको सिस्टम की उपज बताया है और कहा है कि यह आजकल एक प्रथा हो गई है. विपक्ष जब एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाए जाने का विरोध कर रहा है तो आइये जान लेते हैं कि क्या संविधान भी इसे गलत मानता है?

राज्यपाल बनने की योग्यता को लेकर क्या कहता है संविधान?
  
संविधान के अनुच्छेद 157 में राज्यपाल बनने की योग्यता और अनुच्छेद 158 में राज्यपाल पद के लिए शर्तों का उल्लेख है. इनमें से कुछ मुख्य बिंदुओं के मुताबिक, राज्यपाल वह व्यक्ति बन सकता है जो भारत का नागरिक हो और 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका हो. वह संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं हो. राज्यपाल बनने पर वह कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा.

क्या संविधान के अनुसार एस अब्दुल नजीर का राज्यपाल बनना सही है?

संविधान के अनुसार, एस अब्दुल नजीर राज्यपाल बनने की योग्यता पूरी करते हैं क्योंकि वह भारत के नागरिक हैं और 35 वर्ष से ज्यादा की उनकी उम्र हो चुकी है. वह संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं है. लाभ के पद पर वह पहले नहीं रहे हैं और राज्यपाल बनने की शर्तों के हिसाब से आगे भी नहीं रहेंगे.

बता दें कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों को राज्यपाल नियुक्त किया गया है. 1997 में पूर्व जस्टिस फातिमा बीवी तमिलनाडु की राज्यपाल बनाई गई थीं और 2014 में पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम केरल के राज्यपाल नियुक्त किए गए थे.

यह भी पढ़ें- S Abdul Nazeer: ‘मोदी के लिए काम करने वाले गवर्नर’, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस को राज्यपाल बनाए जाने पर कांग्रेस का वार


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