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Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia On Go First Crisis Certainly Not Great For Aviation Sector


Jyotiraditya Scindia on Go First Crisis: भारतीय एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) पिछले कुछ समय से बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है. देश में सस्ती हवाई सेवा प्रदान करने वाली कंपनी गो फर्स्ट (Go First Crisis) ने हाल ही में खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास आवेदन किया था.

गो फर्स्ट संकट पर नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) ने बात की है. उन्होंने कहा कि देश में सस्ती हवाई सेवा प्रदान करने वाली एयरलाइन गो फर्स्ट की दिवालिया प्रक्रिया घरेलू एविएशन क्षेत्र के लिए अच्छी बात नहीं है.

DGCA हर संभव मदद के लिए है तैयार-सिंधिया

मीडिया से बात करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कहा कि गो फर्स्ट संकट (Go First Crisis) देश के एविएशन क्षेत्र के लिए अच्छी बात नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही हर एयरलाइन नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आती है, लेकिन हर कंपनी को अपनी वित्तीय प्रबंधन खुद बेहतर ढंग से करना होगा. जहां तक एयरलाइंस की मदद की बात है तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय कंपनियों की मूलभूत मुद्दे पर हर संभव मदद करने के लिए तैयार है.

26 मई तक रद्द की गई सभी फ्लाइट्स

गो फर्स्ट ने 26 मई तक की सभी फ्लाइट्स को ऑपरेशन संबंधित दिक्कतों के कारण रद्द करने का फैसला किया है. हालांकि कंपनी ने यह भरोसा जताया है कि वह जल्द ही उड़ान सेवाओं को बहाल कर पाएगी. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एयरलाइन 27 मई से अपनी उड़ान सेवाओं को शुरू करने की तैयारी में है. इसके लिए आज से कंपनी ने पायलटों को ट्रेनिंग भी शुरुआत करने जा रही है, लेकिन आपको बता दें कि अभी तक गो फर्स्ट ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. ध्यान देने वाली बात ये है कि एयरलाइन ने 3 मई को अपनी सभी उड़ान सेवाएं रद्द करके NCLT के पास खुद को दिवालिया घोषित करने का आवेदन दिया था. इसके बाद DGCA  ने एयरलाइंस की बुकिंग पर भी रोक लगाने का आदेश दे दिया था.

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पट्टेदार कंपनियों की है यह मांग

NCLT ने गो फर्स्ट की मांद को मानते हुए दिवालिया प्रक्रिया को 10 मई को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद अभिलाष लाल को कंपनी का इंटरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) नियुक्त कर दिया गया था. इसके बाद पट्टेदार कंपनियों ने  समझौते को खत्म करके नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के फैसले को चुनौती देते हुए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) से अपने 45 विमानों की सूचीबद्धता खत्म कर वापस लेने की मांग रखी है. इस मामले पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल अपना फैसला 22 मई को सुनाएगा.

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