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China Aksai Chin Railway Network Project How India Planning To Tackle Dragon Army On Border


China Railway Network In Aksai Chin: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन दोनों के सैनिक तैनात हैं. दोनों देशों के बीच अभी भी बॉर्डर पर कई मसलों को लेकर टेंशन है. इस सबके बीच बीजिंग ने 2025 तक अपने रेलवे नेटवर्क को 4,000 किलोमीटर तक बढ़ाने का फैसला किया है. हैरानी की बात तो यह कि इस रेलवे नेटवर्क में चीन ने ‘अक्साई चिन’ एरिया को भी शामिल किया है, जो सीमा के बेहद करीब है.

बता दें कि 1950 के बाद से ही भारत और चीन दोनों ही अक्साई चिन पर अपना दावा करते आए हैं. ये मुद्दा दोनों देशों के बीच हुए 1962 के युद्ध में भी गरमाया हुआ था. हालांकि, अभी के ताजा घटनाक्रम पर भारत नजर बनाए हुए है. भारतीय सेना, चीन के बुनियादी ढांचे पर कड़ी नजर रख रही है, क्योंकि रेलवे नेटवर्क की मदद से चीन को सेना शिफ्ट करने में काफी सहायता मिलेगी.

2025 तक प्रोजेक्ट होगा पूरा

चीन के 1359 किलोमीटर के रेलवे नेटवर्क को अपग्रेड करने की योजना का अनावरण तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र विकास और सुधार आयोग ने किया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रस्तावित झिंजियांग-तिब्बत रेलवे का शिगात्से-पखुक्त्सो खंड (जो अक्साई चिन के अंदर से गुजरेग) 2025 तक तैयार हो जाएगा. चीनी स्टेट मीडिया ने बताया कि 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) के तहत 55 काउंटियों और जिलों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा. 

सीमा पर इन रेलवे लाइनों को शूरू कर चुका है चीन

चीन लगातार सीमा के अपने हिस्से में अपनी रसद क्षमता का विस्तार कर रहा है. किन्हाई-तिब्बत रेलवे लाइन जुलाई 2006 में शुरू हुई थी, ल्हासा-शिगात्से लाइन 2014 में शुरू हुई थी और ल्हासा-न्यिंगची लाइन जून 2021 में शुरू हुई थी, जिससे वर्तमान रेलवे नेटवर्क की कुल लंबाई 1,359 किलोमीटर हो गई है. 435 किमी लंबी ल्हासा-न्यिंगची लाइन 160 किमी प्रति घंटे की ट्रेनें चलाने में सक्षम है.

भारत का क्या है प्लान

इसके जवाब में भारत ने भी चीन सीमा के पास रणनीतिक रेलवे लाइन बनाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है. सीमा क्षेत्र में भारत के रेलवे रूटमैप में चार प्रस्तावित लाइन होंगी. तीन पूर्वोत्तर में और एक उत्तर में. इनकी दूरी लगभग 1,352 किमी तक होगी. पंजाब, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में 498 किलोमीटर लंबी भानुपली-बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 83,360 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को चरणों में खोला जाएगा. यह रणनीतिक लाइन, जब पूरी हो जाएगी तो चीन की किंघाई-तिब्बत लाइन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन होगी.

अन्य तीन प्रस्तावित रेलवे लाइनें-

  • मिसामारी-तेंगा-तवांग (378 किमी, 54,473 करोड़ रुपये) 
  • पासीघाट-तेजू-रुपई (227 किमी, 9,222 करोड़ रुपये) 
  • उत्तरी लखीमपुर-बाम-सिलपत्थर (249 किमी, 23,339 करोड़ रुपये) 

अधिकारियों ने कहा कि इन सभी को आधिकारिक तौर पर “रणनीतिक रेखा” के रूप में नामित किया गया है, जिसका निर्माण सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं के अनुसार किया जा रहा है. इन ब्रॉड-गेज लाइनों की योजनाएं कम से कम एक दशक पुरानी हैं.

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