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Budget Session 2023 Rjd Mp Manoj Jha Shayri In Rajya Sabha President Speech Kashmir 

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RJD MP Manoj Jha: आरजेडी नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा का राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान शायराना अंदाज दिखा. मनोज झा ने राज्यसभा में प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए शानदार भाषण दिया तो कश्मीर के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी. सदन में एक समय ऐसा भी आया जब मनोज झा ने अपनी बात कहने के लिए शायरी का भी सहारा लिया.

आरजेडी सांसद ने सदन में बात कहते हुए 1976 में आई फिल्म कभी-कभी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में एक गाना है, कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. हालांकि, उन्होंने गाने की बस इतनी ही लाइन सुनाई और आगे अपनी बात जोड़ते हुए कहा कि कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि अगर राष्ट्रपति महोदया अपना अभिभाषण खुद से लिखने लगें तो शायद इतने पन्नों का स्तुतिगान न होता.

अस्थिरता को लेकर सरकार पर निशाना
राष्ट्रीय जनता दल के नेता ने कहा, ये इसलिए हुआ क्योंकि हमेशा से ऐसा होता रहा होगा, लेकिन जो चीज हमेशा से हो रही हो, जरूरी नहीं कि वो अच्छी भी हो. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के तथ्य और जमीन की हकीकत मेल नहीं खाती.

उन्होंने अभिभाषण में स्थिर सरकार का जिक्र करते हुए निशाना साधा और कहा कि जब समाज अस्थिर है तो स्थिर सरकार का क्या किया जाए. समाज में क्षेत्रीयता के आधार पर, धर्म और जाति के आधार पर अस्थिरता है. स्थिर सरकार वो होती है जो समाज में अस्थिरता न पैदा होने दे.

कश्मीर कोई जमीन का टुकड़ा नहीं- झा
इस दौरान मनोज झा ने कश्मीर का जिक्र भी किया. उन्होंने कश्मीर का दिल जीतने के लिए कश्मीरियों का दिल जीतने की सलाह दी. जम्मू कश्मीर में चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान का जिक्र करते हुए राज्यसभा सांसद ने कहा कि कहा जा रहा है, सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया जा रहा है, लेकिन बुलडोजर चलाकर लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर को जमीन का टुकड़ा न समझा जाए. वहां जिंदा लोग बसते हैं. जब तक कश्मीरियों का दिल नहीं जीतोगे, कश्मीर का दिल कभी नहीं जीत पाओगे.

बजट में 43 बार 2014 का जिक्र
मनोज झा ने कहा कि बजट पर राष्ट्रपति के अभिभाषण का अध्ययन किया जाए तो उसमें 43 बार 2014 का जिक्र मिलता है. उन्होंने सवाल किया कि क्या उसके पहले कुछ नहीं है. इतना तो 1947 का जिक्र भी नहीं होता है. हालांकि, इस पर स्पीकर की कुर्सी पर बैठे सभापति जगदीप धनखड़ ने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि जब वह 1989 में सांसद चुने गए थे, उस समय तक सांसद और पूर्व सांसद हुआ करते थे. उस दौरान एक नया वर्ग बना एक्स्ड (Axed) एमपी, यानि वे सांसद जो अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर सके. उन्होंने बताया कि कई सरकारें बिना कार्यकाल पूरा किए चली गई. 30 सालों तक गठबंधन की सरकार चली, जो 2014 में आकर खत्म हुआ. इसलिए 2014 खास है.

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