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Bhutan No Longer Among World Poorest Countries Its Graduate From The Band Of UN LDC Club

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Bhutan No Longer In LDC: हिमालय के अंचल में बसे एशिया के छोटे-से देश भूटान (Bhutan) के लोगों के लिए गर्व और सम्‍मान का अहसास देने वाली खबर है. यह देश अब तक दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता रहा है, लेकिन अब जल्द ही यह सबसे गरीब देशों के क्लब को छोड़ देगा. ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स (GHI) के लिए मशहूर यह देश 13 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से 1971 में स्थापित सबसे कम विकसित देशों के बैंड से ग्रेजुएट होने वाला सातवां देश बन जाएगा.

भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने गुरुवार (9 मार्च) को दोहा में समाप्त हुए सबसे कम विकसित देशों (LDC) के शिखर सम्मेलन के बाद कहा, “अब हम दुनिया के सबसे गरीब देशों में नहीं गिने जाएंगे. ये हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है. इससे हमें बहुत सम्मान और गर्व की अनुभूति हो रही है. इसमें कोई हिचकिचाहट नहीं है.”

दोहा में LDC की कॉन्‍फ्रेंस से आई गुड न्‍यूज
बता दें कि भूटान का नाम यूनाईटेड नेशंस की 46 सबसे कम विकसित देशों (लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज) की सूची में आता है. इस सूची में दुनिया के सबसे गरीब मुल्‍कों को रखा जाता है. इन मुल्‍कों को यूएन की ओर से आर्थिक, तकनीकी सहित कई क्षेत्रों में मदद के लिए प्राथमिकता दी जाती है. इन देशों में एशिया से अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार सहित 9 देश शामिल हैं. इसके अलावा कई अफ्रीकी देश इस सूची में शामिल हैं.

सबसे कम विकसित देशों की सूची से होगा बाहर
सबसे कम विकसित देशों (Least Developed Countries) में से कई देशों को भारत भी मदद करता है, जिनमें भूटान प्रमुख है. भूटान की सीमाएं 3 ओर से भारत से घिरी हुई हैं और उसके उत्‍तर में चीन है. भूटान का 90% अकेले भारत के साथ होता है और यहां की सुरक्षा एवं विदेश नीति में भी भारत की बड़ी भूमिका है. भूटान ऐसा देश है, जो भौतिकवाद से दूर नैतिक मूल्यों के आधार पर जीवन जीता है और अपने में खुश रहता है.

बांग्लादेश-नेपाल से ज्‍यादा बेहतर रहा भूटान
अब जबकि 46 सबसे कम विकसित देशों (लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज) की सूची में से भूटान अलग हो जाएगा तो अन्य सभी 45 एलडीसी के नेता भी बाहर होने की जुगत में होंगे. बताया जा रहा है कि बांग्लादेश, नेपाल, अंगोला, लाओस, सोलोमन द्वीप और साओ टोम 2026 के अंत तक ग्रेजुएट होने वाले हैं. लेकिन वे व्यापार विशेषाधिकारों और सस्ते वित्त-समर्थन को खोने की चिंता करते हैं, क्‍योंकि LDC से बाहर होने वाले देशों को ‘खास’ मदद नहीं मिल पाती. इसलिए, अंगोला और सोलोमन ने अपने बाहर निकलने में देरी करने की मांग की है. अन्य देश भी इनका अनुसरण कर सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: गरीब देशों की कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे शहबाज शरीफ, जानें क्यों कंगाल पाकिस्तान को LDC5 से भी है आर्थिक राहत की आस

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