भारत

सांसदी और बंगला छीनने के बाद राजनीति के मैदान में अब कहां खड़े हैं राहुल गांधी ?

[ad_1]

<p style="text-align: justify;">कहते हैं कि राजनीति फर्श से अर्श पर ले जाती है, लेकिन &nbsp;जरा-सी चूक इसका उलटा नतीजा दिखाने में भी ज्यादा देर नहीं लगाती है. राहुल गांधी की जुबान से निकले महज़ एक शब्द ने पहले उनकी सांसदी छीन ली और अब सरकारी बंगले से भी हाथ धोना पड़ेगा. लिहाजा,सवाल उठता है कि राजनीति में राहुल आज कहां खड़े हैं? सिर्फ इन दो कारणों से क्या राहुल गांधी राजनीति के हाशिये पर चले गये हैं या फिर वे सियासी बिसात की कोई नई इबारत लिखने की कोशिश में हैं? ये सवाल इसलिये कि मानहानि केस में सूरत कोर्ट के दोषी ठहराये जाने के बाद भी उन्होंने उस फैसले को अभी तक ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी है. हालांकि उनके पास 30 दिन यानी 22 अप्रैल तक का वक़्त है और ये वही तारीख भी है, जब उन्हें उस सरकारी बंगले को खाली करना होगा, जिसमें वे पिछले 19 बरस से रह रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल राहुल का पूरा मामला एक राजनीतिक भाषण से जुड़ा है,सो अदालत ने तो अपने सामने आये तथ्यों के आधार पर अपना फैसला सुना दिया, लेकिन अब ये कानूनी लड़ाई सरकार बनाम विपक्ष के बीच एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई में भी तब्दील हो चुकी है. लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर वायनाड सीट को अब खाली सीट घोषित कर दिया गया है. गेंद अब चुनाव आयोग के पाले में चली गई है, जिसे इस सीट पर उप चुनाव कराने का फैसला लेना है. नियमों के मुताबिक लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने में अगर एक साल या उससे ज्यादा का वक़्त बचता है, तो रिक्त हुई सीट पर चुनाव कराना अनिवार्य बाध्यता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल मई में खत्म होगा. कानूनी जानकार कहते हैं कि चुनाव आयोग अब पसोपेश में है कि वह कर्नाटक विधानसभा चुनावों की अधिसूचना जारी करने के साथ ही वायनाड लोकसभा की सीट पर भी उप चुनाव कराने की घोषणा करें या न करें. कर्नाटक में मई में चुनाव होने हैं और आयोग को अगले कुछ दिन में तारीखों का एलान करना है. अब तक की परम्परा रही है कि अगर कोई लोकसभा सीट किसी भी कारण से खाली होती है,और अगर किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो उसके साथ ही उस रिक्त सीट पर भी चुनाव कराया जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;">लिहाज़ा, कानूनी तौर पर राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से कोई राहत मिले या न मिले, इससे आयोग का कोई वास्ता नहीं है और न ही उसके आगे ऐसी कोई बाध्यता है. लिहाज़ा, जानकार कहते हैं कि अगर वायनाड सीट पर चुनाव की घोषणा नहीं होती है, तो समझ लीजिये कि कहीं कुछ ऐसा पेंच फंस गया है जो फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा.</p>
<p style="text-align: justify;">इसे समझने के लिये बीते चार दिन में बीजेपी नेताओं समेत कुछ मंत्रियों के दिये बयानों पर गौर करना होगा. वे सभी इस पर जोर दे रहे हैं कि कांग्रेस इस कानूनी लड़ाई को सड़कों पर लाकर देश को गुमराह क्यों कर रही है और राहुल गांधी आखिर इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती क्यों नहीं दे रहे हैं. अब सवाल उठता है कि राहुल ऊपरी अदालत में फैसले को चुनौती देने में आखिर देर क्यों कर रहे हैं और क्या इसके पीछे कांग्रेस की कोई सियासी रणनीति है?</p>
<p style="text-align: justify;">पार्टी से जुड़े सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस इस इंतज़ार में है कि आयोग पहले वायनाड का उप चुनाव घोषित कर दे. उसके बाद ही वह कानूनी रास्ते पर आगे बढ़ेगी. पार्टी के कानूनी दिग्गजों का कहना है कि सूरत कोर्ट के फैसले में ऐसी कई खामियां हैं, जिसके आधार पर राहुल गांधी को ऊपरी कोर्ट से राहत अवश्य मिलेगी, लेकिन सजा पर स्टे मिलने के बावजूद उन्हें वायनाड का उप चुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगानी होगी. वहां से उन्हें कोई राहत मिले या न मिले, लेकिन कांग्रेस की रणनीति यही है कि तब तक राहुल का मसला मीडिया में छाया रहे.देखना ये है कि सूरत कोर्ट का फैसला राहुल गांधी के लिए "जैकपॉट " साबित होता है या फिर उन्हें फर्श पर ही रखता है?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.</strong></p>
#ससद #और #बगल #छनन #क #बद #रजनत #क #मदन #म #अब #कह #खड़ #ह #रहल #गध

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button