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घरेलू बाजार में गिरावट का असर, करीब एक साल में सबसे कम हुआ ग्लोबल एमकैप में हिस्सा


Indian Equity Market: भारतीय शेयर बाजारों (Indian Equity Market) के लिए यह साल अब तक ठीक साबित नहीं हुआ है. सबसे पहले तो जनवरी में आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) ने बाजार पर असर डाला, जिसके चलते अडानी समूह के शेयरों (Adani Group Stocks) में भारी गिरावट आई. अब फेड रिजर्व के इशारे ने बाजार का और नुकसान कर दिया है. इसके चलते ग्लोबल एमकैप में भारतीय इक्विटी मार्केट (Indian Stock Market) की हिस्सेदारी तेजी से कम हुई है.

अभी इतना है ग्लोबल एमकैप में हिस्सा

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के एक ताजा आकलन के अनुसार, फरवरी महीने के दौरान भारतीय बाजार की वैल्यू ग्लोबल मार्केट कैप के 3 फीसदी के बराबर थी. यह भले ही 2.5 फीसदी के ऐतिहासिक औसत से बेहतर हो, लेकिन इसके साथ-साथ यह वैश्विक बाजारों की कुल वैल्यू में भारतीय बाजार की अप्रैल 2022 के बाद की सबसे कम हिस्सेदारी है. इसका मतलब हुआ कि ग्लोबल एमकैप की तुलना में भारतीय बाजार की वैल्यू अभी करीब 01 साल में सबसे कम है.

पिछले महीने आगे निकला ब्रिटेन

पिछले महीने ही भारतीय शेयर बाजार वैल्यू के हिसाब से फिसलकर ब्रिटेन से पीछे हो गया था. एक तरफ भारतीय शेयर बाजार की वैल्यू कम हुई है. वहीं दूसरी ओर पाउंड में कमजोरी के चलते लंदन के बड़े एक्सपोर्टर्स को मदद मिली है, जिससे ब्रिटिश शेयर बाजार (UK Equity Market) का हाल सुधरा है. इनके चलते ब्रिटिश शेयर बाजार (UK Share Market) ने भारतीय इक्विटी मार्केट (Indian Stock Market) को फरवरी में पीछे छोड़ दियाऔर दुनिया का छठा सबसे बड़ा बाजार बन गया. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट (Bloomeberg Report) में बताया गया था कि ब्रिटेन ने इक्विटी मार्केट के लिहाज से भारत को नौ महीने बाद पीछे छोड़ा है.

इतनी कम हुई भारतीय बाजार की वैल्यू

मोतीलाल ओसवाल के आकलन के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान देखें तो भारतीय बाजार ने दुनिया भर के बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. पिछले 12 महीने के दौरान जहां वैश्विक बाजारों के बाजार पूंजीकरण में 10.5 फीसदी की गिरावट आई, वहीं भारतीय बाजार की वैल्यू इस दौरान 6.4 फीसदी ही कम हुई. हालांकि इस साल अलग तस्वीर दिख रही है. पहले जनवरी में भारतीय बाजार करीब 2.5 फीसदी गिरा. इसके बाद फरवरी में भी 2 फीसदी की गिरावट आई. मार्च में भी बाजार कमोबेश नुकसान में ही है. इस तरह देखें तो 2023 में अब तक भारतीय बाजार की वैल्यू करीब 05 फीसदी कम हुई है.

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