गूगल, फेसबुक, अमेजन जैसी कंपनियों को गैर-व्यक्तिगत डाटा साझा करने के लिए क्यों भारत सरकार कर रही है विचार?

<p style="text-align: justify;">केंद्र सरकार फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी बड़ी कंपनियों को अपने पास मौजूद अज्ञात व्यक्तिगत डेटा को सरकार समर्थित डेटाबेस के साथ शेयर करने का निर्देश जारी करने पर विचार कर रही है. </p>
<p style="text-align: justify;">यदि ये कदम उठाया जाता है तो ये कंपनियां इस तरह के डेटा पर अपना अधिकार होने का दावा कर सकती हैं. साथ ही अज्ञात व्यक्तिगत डेटा के स्वामित्व का सवाल एक बड़ी बहस को भी जन्म दे सकता है. भारत सरकार इस मुद्दे पर लंबे समय से विचार कर रही है और आगामी डिजिटल इंडिया बिल, 2023 भी इस मुद्दे पर केंद्रित है.</p>
<p style="text-align: justify;">यदि इस कदम को अंतिम रूप दिया जाता है तो ये कंपनियां ऐसे डेटा पर किसी भी उपभोक्ता को सूचना प्रदान करने वाली बौद्धिक संपदा के अधिकार का दावा कर सकती हैं और ऐसे डेटा के स्वामित्व के बारे में चर्चा शुरू कर सकती है. इस तरह के डेटा में केंद्र सरकार इसलिए भी दिलचस्पी ले रही है क्योंकि ये </p>
<p style="text-align: justify;">सरकार की इस मुद्दे पर दिलचस्पी इसलिए भी ले रही है क्योंकि ऐसे डेटासेट कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई इंटेलिजेंस का आधार बनते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या होता है अज्ञात व्यक्तिगत डेटा?</strong><br />सबसे पहले हम ये जान लेते हैं कि अज्ञात व्यक्तिगत डेटा होता क्या है. यह एक ऐसा डेटा सेट होता है जिसमें व्यक्तिगत पहचान उजागर नहीं होती. इसमें कुछ विशेष लोगों का समग्र स्वास्थ्य डेटा, किसी क्षेत्र का मौसम और जलवायु डेटा, ट्रैफिक डेटा जैसी समग्र जानकारी शामिल होती है.</p>
<p style="text-align: justify;">यह डेटा व्यक्तिगत डेटा से अलग होता है, हालांकि इस तरह के डेटा में व्यक्ति की पहचान हो सकती है. इस डेटा में व्यक्ति के ईमेल, बायोमेट्रिक्स जैसी चीजें शामिल होती हैं. अज्ञात डेटा का उपयोग व्यक्तियों की गोपनीयता से समझौता किए बिना कई तरह के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या करने जा रही है सरकार?</strong><br />सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 में आगामी डिजिटल इंडिया बिल के तहत आईटी मंत्रालय ने एक प्रावधान जोड़ा है, जो बड़ी तकनीकी कंपनियों को उनके पास मौजूद सभी गैर-व्यक्तिगत डेटा को भारत डेटासेट प्लेटफॉर्म पर जमा करने के लिए मजबूर करेगा. इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में एक वरिष्ट सरकारी अधिकारी ने ये बताया है कि ये मसौदा अबतक सार्वजनिक नहीं किया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आगामी बिल का हिस्सा</strong><br />ये कदम आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक का हिस्सा है, जिसमें बड़ी तकनीकी कंपनियों को उनके पास मौजूद सभी गैर-व्यक्तिगत डेटा को सरकार समर्थित डेटाबेस में जमा करने के लिये बाध्य करने का प्रावधान है, जिसे भारत डेटासेट प्लेटफॉर्म के रूप में जाना जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;">इससे पहले मई 2022 में सरकार ने राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति मसौदा जारी किया था, जिसके तहत उसने केवल निजी कंपनियों को स्टार्टअप और भारतीय वैज्ञानिकों के साथ गैर-व्यक्तिगत डेटा शेयर करने के लिये "प्रोत्साहित" किया था.</p>
<p style="text-align: justify;">सरकार का ये तर्क है कि बड़ी तकनीकी कंपनियों को भारतीयों के गैर-व्यक्तिगत डेटा के आधार पर एल्गोरिदम बनाने से फायदा हुआ है और उन्हें इस पर अपना हक नहीं जताना चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्यों सरकार बड़े तकनीकी डेटा पर पहुंचने पर कर रही है विचार?</strong><br />इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गठित कार्य समूह के अनुसार, डेटासेट प्लेटफॉर्म को सरकार निजी कंपनियों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों, शिक्षाविदों तथा अन्य सहित विभिन्न हितधारकों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय डेटा शेयर और विनिमय मंच के रूप में परिकल्पित किया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके अलावा भारत डेटासेट प्लेटफॉर्म द्वारा रखे गए गैर-व्यक्तिगत डेटा का मुद्रीकरण भी किया जा सकता है, यानी इस डेटा से पैसे लिए जा सकते हैं जो आर्थिक लाभ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बिल पारित होने के बाद क्या होगा?</strong><br />डिजिटल इंडिया बिल 2023 यदि पारित हो जाता है तो ये सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उत्तराधिकारी के तौर पर काम करेगा. व्यापक कानूनी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.</p>
<p style="text-align: justify;">ये विधेयक डेटा को संचालित करने और विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करके भारत में एआई पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा. साथ ही इस विधेयक को भारत के डिजिटल परिदृश्य की व्यापक निगरानी सुनिश्चित करने के साथ ही साइबर अपराध, डेटा सुरक्षा, डीपफेक, इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के बीच होड़ और ऑनलाइन सुरक्षा तथा AI के नकारात्मक प्रभाव जैसी आने वाली चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है.</p>
<p>इस साल अक्टूबर की शुरुआत में भी आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने गैर-व्यक्तिगत डेटा के स्वामित्व पर सरकार के रुख में बदलाव का संकेत दिया था. एक सवाल का जवाब देते हुए कि क्या सरकार ने निजी कंपनियों को डेटासेट प्लेटफॉर्म के साथ गैर-व्यक्तिगत डेटा शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करने की अपनी स्थिति बदल दी है, तब उन्होंने कहा कि मैं अभी नहीं बता सकता कि ये क्या है, लेकिन निश्चित रूप से इसे लेकर हमारे रुख में बदलाव हुआ है. </p>
<p>टेक पॉलिसी थिंक टैंक द डायलॉग के संस्थापक काजिम रिजवी ने इस मुद्दे पर कहा कि गैर-व्यक्तिगत डेटा साझा करने के लिए नियम लाने का सरकार का विचार इसके मूल्य को अनलॉक करने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा, "सबसे पहले, डेटा शेयर सिस्टम स्वैच्छिक होना चाहिए." </p>
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